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Hariyali Amavasya 2024: સનાતન ધર્મમાં હરિયાળી અમાવસ્યાનું વિશેષ મહત્વ છે. સનાતન શાસ્ત્રો અનુસાર, અમાવસ્યા અને પૂર્ણિમા તિથિ પર ગંગા સ્નાન કરવાથી ભક્તને તમામ પ્રકારના પાપોમાંથી મુક્તિ મળે છે. સાવન માસની અમાવાસ્યાને હરિયાળી અમાવસ્યા તરીકે ઓળખવામાં આવે છે. હરિયાળી અમાવસ્યા પર સ્નાન અને ધ્યાન કર્યા પછી ભગવાન શિવ અને પિતૃઓની પૂજા કરવી જોઈએ અને દાન કરવું જોઈએ. ભગવાન વિષ્ણુની પૂજા કરવાની પણ વ્યવસ્થા છે. આમ કરવાથી પિતૃ દોષમાંથી મુક્તિ મળે છે.
હરિયાળી અમાવસ્યા શુભ મુહૂર્ત
Hariyali Amavasya 2024પંચાંગ અનુસાર, સાવન મહિનાની અમાવસ્યા તિથિ 03 ઓગસ્ટ, 2024 ના રોજ બપોરે 03:50 વાગ્યે શરૂ થઈ રહી છે, જે 04 ઓગસ્ટ, 2024 ના રોજ સાંજે 04:42 વાગ્યે સમાપ્ત થશે. આવી સ્થિતિમાં, ઉદયા તિથિ અનુસાર, 04 ઓગસ્ટ, રવિવારના રોજ સાવનની હરિયાળી અમાવસ્યા ઉજવવામાં આવશે.
Hariyali Amavasya 2024 પિતૃદેવ આરતી
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
शिव जी की आरती (Lord Shiv Aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥